''झंकार -तरंग ''
सोमवार, 8 फ़रवरी 2010
सुस्वागतम ..
जिन
-
जिन
दिलों
में
उठती
हो
,
संवेग
,
झंकार
तरंगों
सी
।
इस
पटल
पर
चलाओ
लेखनी
,
अपनी
मन
में
उठी
तरंगों
की
॥ .
.
1 टिप्पणी:
संजय भास्कर
ने कहा…
behtreen kamlesh ji...
9 फ़रवरी 2010 को 6:41 am बजे
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1 टिप्पणी:
behtreen kamlesh ji...
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