रविवार, 18 सितंबर 2011

हजूर अभी ना सोइये...!!!

अभी बेफिक्र हो के ना ज़नाब सोइए ...!!!
कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा
अभी बेफिक्र हो के जनाब अभी ना सोइये ,
अभी जो जख्म हैं ताज़े ,उनको तो धोइये ,

ना समझो की गद्दार, सब खो गये हैं कहीं ,
सापों की मानिंद, बिलों में छुप गये हैं यहीं ,

ढूंढ-ढूंढ कर मारो, इन विष-भरे नागों को ,
तोड़ सके ना ये हमारे, एकता के धागों को ,

अब ना पनपने देंगे,हम गद्दारों की टोली को ,
रक्त-रंजित होने दें हम, ईद और होली को ,

'कमलेश 'हर मन में देश -प्रेम का बीज बोना होगा ,
सब होंगे सजग फिर बेफिक्र, हो के सोना होगा पर ..

अभी बेफिक्र हो के जनाब अभी ना सोइये ,
अभी जो जख्म हैं ताज़े उनको तो धोइये ...,॥

कोई टिप्पणी नहीं: