अभी बेफिक्र हो के ना ज़नाब सोइए ...!!! अभी बेफिक्र हो के जनाब अभी ना सोइये ,
अभी जो जख्म हैं ताज़े ,उनको तो धोइये ,
ना समझो की गद्दार, सब खो गये हैं कहीं ,
सापों की मानिंद, बिलों में छुप गये हैं यहीं ,
ढूंढ-ढूंढ कर मारो, इन विष-भरे नागों को ,
तोड़ सके ना ये हमारे, एकता के धागों को ,
अब ना पनपने देंगे,हम गद्दारों की टोली को ,
रक्त-रंजित न होने दें हम, ईद और होली को ,
'कमलेश 'हर मन में देश -प्रेम का बीज बोना होगा ,
सब होंगे सजग फिर बेफिक्र, हो के सोना होगा ॥पर ..
अभी बेफिक्र हो के जनाब अभी ना सोइये ,
अभी जो जख्म हैं ताज़े उनको तो धोइये ...,॥
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