शुक्रवार, 4 मई 2012

bahut din hue...!!!

बहुत दिन हुए उनको देखे हुए ,
गली में  निकलते कंकर फेंके हुए ,


मुंह  ऊपर उठा जरा  मुस्करा देना ,
देख लेती  उनको बिना देखे हुए ,


हर खट-खट में उनकी पद -चाप  सुनती ,
वो ही है !जान लेती ,बिना देखे हुए ,


ना जाने कहाँ गुम हुए ! वो बेदर्द मौसम ,
महसूस ही कर लेती उनको  बिना देखे हुए ,


‘कमलेश’ ऐसी चाहत की कुछ तो बात होगी !
ता उम्र काट दी बिना उनको देखे हुए ॥

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