बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

किस्मत में था न तेरा साथ...!!!

किस्मत में था तेरा साथ, ये था नही पता ,
भुगत रहा दिल जिसने, प्यार की थी खता.......?

मेरा तडपता है दिल, लब भी सिले हुए हैं ,
खता -- दिल के ,ये सिले मिले हुए हैं
कोई हाले मंजर मेरा उसे देता क्यों नही बता .......?

जिस बिन इक दिन भी जीना मुहाल था ,
रातें थी काँटों भरी ओर दिन भी बेहाल था
अब उसकी तस्वीर को आँखों से कोई ले हटा ......?

जिन्दगी के राहे -गुजर में आये कई मुकाम भी ,
कहीं सय्याद मिले, मिले कहीं यहाँ गुलफाम भी
जिन्दगी पूछती फिरती है फिर भी उसी का पता .....?

जमाने की नजर में जब हम आये ही नही थे कभी ;
फिर क्यूँ साफ झलकता है पसीना , पेसानी पर अभी
''कमलेश ''के दर्दे- जां का है इस दुनिया को पता .....??


1 टिप्पणी:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।