बुधवार, 7 अप्रैल 2010

समाज में फैला एक अभिशाप ...कुछ लोगों की पैसों की हवस ...!!?

आखिर कार पोलिस को जब इस जहर के कारन एक कत्ल हो गया,फिर नीन्द खुली,नीचे अपरोच्छ रूप से जिस वयकति की बात की जा रही थी,उसे गिरफ्तार करना पडा।लेकिन एक मजबूर ने नशे के हाथो जान दे दी।{यह सत्य घटना है}१८-४-०१०को उ० प्र०} के बाराबन्की जिले की.......




जो कल तक लोगों की नजर में चहरे मोहरे से एक बच्चा लगता था आजोर वो अपनेइलाकेआज ..एकa मशहूर इन्सान के तौर पर ..जानते है लोग ..जिसको कभी कोई मिलता ही नहीं था ... उसे मिलने को लोग दिन के रात के और खेत खलिहान ,नहर या रास्ते में कहीं भी मिलने को आतुर रहते हैं ..अब

वो बड़ा हो गया है ...लोग उसे विशेस तौर पर अपने सम्बन्धी की शादी या किसी मौके पर जरूर बुलाते हैं ...वो वहां

होने वाले डांस की महफ़िल की रौनक होता हैं ..सबसे ''कमसिन''दिखने वाली नर्तकी के ऊपर हो पूरे जोश के साथ

पांच-पांच सौ के नोटों को लूटाने की मुद्रामे ऊपर उठा कर सबको दिखाता है ..लोग उसकी दरिया दिली की तारीफ करते हैं ...लोग उसकी तरक्की के पीछे जब पता करते हैं ,..तो उसके पीछे जिन लोगों का हाथ होता है.....अब आप उनसे मिलो ......जिनके पैसों से .............नीचे ये है ''राधे श्याम ''जो एक दलित परिवार का एक मात्र कमाने वाला था ,...लेकिन ड्रग -माफिया ने ,जिसका इस वाकत ''.प्र.क्या सारे देश को अपनी गिरफ्त में लिया है ,इन लोगों को इस दल -दल में फंसा कर जिन्दगी भर के लिए ..नशे (स्मैक ) का ''गुलाम ''बना देते हैं ...उपर जिन सज्जन की कमाई की बात कर रहे हैं वो भी इसी का हिस्सा हैं यह भी इनका ग्राहक है .... हाथों के यह निशान ,उस नशे के प्रति मजबूरी है की....नशे के सेवन के वक़्त उसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठया जा सके ...इस चक्कर में जलती हुई तीली इनके उँगलियों को जलाती रहती है पर यह उस नशे को पूरा - आत्मसात करके अपनी जिन्दगी को कुछ देर के लिए ...नकली ख़ुशी देते हैं ...इस जैसे हर जिले .हर गाँव में आप को बेचने वाले और खरीदने वाले मिल जायेंगे ...यह पुलिस की मिली भगत के बिना हो ही नही सकता ...इनकी सह पर ही आदमी तो आदमी, अब औरतें भी इस धंधे का हिस्सा बन चुकी हैं .....पता नहीं यह पैसा कमाने की ललक और कितना लोगों के जमीर को नीचे गिराएगी ......

जिस fसल से यह है जहर बनता है ,उसकी फसल को पोस्त(ओपियम )अफीम कहते हैं ,इसी अफीम को पुरीफ्य करके 'स्मैक ,हेरोइन आदि नशे बनते हैं .अंतरास्ट्रीय स्तर पर स्मुग्ग्लिंग होती है ,,.,नीचे देखे ...

पोस्त की फसल ...




3 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

behad gambhir samasya hai...

sonal ने कहा…

अन्दर तक हिला देने वाली सच्चाई ... नशा हर हाल में मानुष को खोखला कर देता है

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

sach....bahut gahari baat kah dee hai aapne... magar kya karen....kisi ko apne andhere se nikalne kee chaahat hi nahin.....!!