''झंकार -तरंग ''
मंगलवार, 8 जून 2010
तू उम्मीदों का ना छोड़ दामन !!!
तू
उम्मीदों
का
ना
छोड़
दामन
,
उम्मीदों
पर
तो
दुनिया
टिकी
है
॥
उम्मीद
ही
तो
थी
!
तुम्हारे मिलने की
,
तभी
आखरी साँस अब तक अटकी
है
!!
1 टिप्पणी:
संजय भास्कर
ने कहा…
बहुत सुंदर...छोटी है किंतु असरदार है
8 जून 2010 को 8:50 am बजे
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1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर...छोटी है किंतु असरदार है
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