शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

किससे करूं मै बात ,उन जनाब की
जिनसे की है मुहब्बत बे-हिसाब की

दीखते नही वो दिन में ,रातें भी स्याह हुई
हुई मद्धम रोशनाई मेरी वफ़ा--महताब की

किससे गिला करूं कहाँ तहरीर दूं ?
कोई ढूंढ लाये तस्वीर मेरे ख्वाब की

बिखर जाएगी -शर्मो -हया; ; जहाँ में
जो बरसों से हिफाजत में है हिजाब की

कमलेश वर्मा

2 टिप्‍पणियां:

sonal ने कहा…

badhiyaa

Anamikaghatak ने कहा…

bahut hii achchha lagaa padhkar...........