तेरी हसरत थी जो दिल को ,वह खत्म हो गयी ,
अब वादे-वफा निभानी बस रस्म हो गयी ।
जी जाते गर तूने, रस्मे -उल्फत निभायी होती ,
बर्बादी की जगह, जिन्दगी की राह दिखाई होती ।
कहाँ ? देखे थे इन आँखों ने बहारों के सपने ,
तपती रेत के सहरा में फुहारों के सपने ।
उम्मीदों के समन्दर में ढूँढा था ,तेरे प्यार का मोती ,
सीप 'संग 'को समझ लेता, गर तुम साथ होती ।
उजड़ जाते गर बसने से पहले ,
रो लेती आँखें हंसने से पहले ।
न दिल टूटता न ,अरमां तार-तार होते ,
न तुम बेवफा होती ,न हम बे ऐतबार होते ।
कुदरत करती रही हमेशा, बेरुखी मेरे साथ में ,
अब भी जिन्दगी की डोर, थमा दी तेरे हाथ में ।
ये है मेरी किस्मत ,नही किसी का दोष है ,
इस मुकाम पर देखो ?कुदरत भी खामोश है ।
''कमलेश'' क्या कहेगा जमाना, इस बात पर ,
जिन्दगी लगा दी है ,जिन्दगी की बिसात पर ॥
अब वादे-वफा निभानी बस रस्म हो गयी ।
जी जाते गर तूने, रस्मे -उल्फत निभायी होती ,
बर्बादी की जगह, जिन्दगी की राह दिखाई होती ।
कहाँ ? देखे थे इन आँखों ने बहारों के सपने ,
तपती रेत के सहरा में फुहारों के सपने ।
उम्मीदों के समन्दर में ढूँढा था ,तेरे प्यार का मोती ,
सीप 'संग 'को समझ लेता, गर तुम साथ होती ।
उजड़ जाते गर बसने से पहले ,
रो लेती आँखें हंसने से पहले ।
न दिल टूटता न ,अरमां तार-तार होते ,
न तुम बेवफा होती ,न हम बे ऐतबार होते ।
कुदरत करती रही हमेशा, बेरुखी मेरे साथ में ,
अब भी जिन्दगी की डोर, थमा दी तेरे हाथ में ।
ये है मेरी किस्मत ,नही किसी का दोष है ,
इस मुकाम पर देखो ?कुदरत भी खामोश है ।
''कमलेश'' क्या कहेगा जमाना, इस बात पर ,
जिन्दगी लगा दी है ,जिन्दगी की बिसात पर ॥
3 टिप्पणियां:
उजड़ जाते गर बसने से पहले ,
रो लेती आँखें हंसने से पहले ।
.... बहुत खूब !!
''कमलेश'' क्या कहेगा जमाना, इस बात पर ,
जिन्दगी लगा दी है ,जिन्दगी की बिसात पर ॥
सुन्दर रचना के लिए बधाई!
''कमलेश'' क्या कहेगा जमाना, इस बात पर ,
जिन्दगी लगा दी है ,जिन्दगी की बिसात पर ॥
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
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