शुक्रवार, 21 मई 2010


प्यास जिन्दगी की कभी कम नही होती ,
कई जिंदगियां कम इक प्यास के लिये

मुद्दतों बाद कहीं पूरी इक आस होती है ,
इक आस की खातिर मुद्दत भी कम है

8 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

... बेहद प्रभावशाली ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

दिल के सुंदर एहसास....

अरुणेश मिश्र ने कहा…

प्रशंसनीय ।

dipayan ने कहा…

बहुत कम शब्दो मे सुन्दर रचना । इससे पहले वाली "इन आँखों ...." भी बहुत सुन्दर तरीके से पेश किया गया है। slip disc के कारण काफी दिन तक आराम पे था, इसलिये देर से आया। आप सब के आशिर्वाद से अब बेहतर हूँ । आगे की रचनाओ का इन्तेज़ार रहेगा ।

श्रद्धा जैन ने कहा…

well said

कविता रावत ने कहा…

मुद्दतों बाद कहीं पूरी इक आस होती है ,
इक आस की खातिर मुद्दत भी कम है ॥
...bahut sundar manobhaon ko piroya hai aapne..
Haardik shubhkamnayne

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

ये प्यास है बड़ी !!!!
और होनी है पूरी.

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

wahwa....