''झंकार -तरंग ''
शुक्रवार, 11 जून 2010
ना निकला वो दिल से ,
ना
निकला
वो
दिल
से
,
आखरी
दम
निकलने
तक
।
हो
चुकी
थी
बहुत
देर
,
''
उसका
दिल
पिघलने
तक
''॥
3 टिप्पणियां:
sonal
ने कहा…
गहरी पीड़ा , बहुत सुन्दर पंक्तिया
11 जून 2010 को 10:22 am बजे
पूनम श्रीवास्तव
ने कहा…
कम शब्दों में गहरी बात कही है आपने।
14 जून 2010 को 11:06 am बजे
sumant
ने कहा…
SO b'ful
28 जुलाई 2010 को 9:47 am बजे
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3 टिप्पणियां:
गहरी पीड़ा , बहुत सुन्दर पंक्तिया
कम शब्दों में गहरी बात कही है आपने।
SO b'ful
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