बज्ज से ...आनंद शर्मा के
कविवर प्रदीप ~
बिगुल बज रहा नई सदी का गगन गूंजता नारों से
मिला रही है हिन्द की मिट्टी नज़रें आज सितारों से,
एक बात कहनी है लेकिन आज देश के प्यारों से
जनता से, नेताओं से, सेना की खड़ी कतारों से,
कहनी है इक बात हमें इस देश के पहरेदारों से
संभल के रहना अपने घर में छिपे हुए गद्दारों से।।
लूट रहे हैं देश की दौलत लोभी रिश्वतखोर यहां
काट रहे हैं देश की जेबें वतन के दुश्मन चोर यहां,
सच के ऊपर झूठ का हर दिन बढ़ता जा रहा जोर यहां
जागते रहना ए नेताओं खतरा चारों ओर यहां ,
नहीं चलेगा काम दोस्तो केवल जय-जयकारों से
संभल के रहना अपने घर में छिपे हुए गद्दारों से।।
2 टिप्पणियां:
बेहतरीन प्रस्तुति..
दशहरा पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं ...
सम्हल क़े रहना अपने घर क़े गद्दारों से--------
बहुत सुन्दर भाव लिए बर्तमान क़ा सन्देश देते हुए
एक अच्छा प्रयास भारत--------
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