आज फिर याद जहन में २६/११ का मंजर आया ,
करने छलनी सीना सरहद पार से खंजर आया ।
बीती थी इक सुहानी रात नव प्रभात फूटा था ,
मुंबई की उस सुबह को वहसी- दरिंदों ने लूटा था ।
बे-गुनाह निहत्थे लोगों पर पिशाचो ने वार किया ,
हेमंत,सलास्कर ,आप्टे जैसे सपूतों को मार दिया ।
लहू उबल जाता है ,दिल भी भर आता है ?....
इतने बड़े देश में कोई कैसे ये कर जाता है ।
कितने दिनों तक प्रेम निमन्त्रण इनको बांटे जायेंगे ,
कब तक ?ये हत्यारे हिंदुस्तान की बिरयानी खायेंगे ॥?
सदा न्याय मिले सबको, कोई कब क्या कहता है ,
इस दरिन्दे[कसाब} की खातिर क्या कोई सबूत रहता है ।
वक्त आ गया है इन दुष्टों की जड़ को खत्म करो ॥!
बन भश्मासुर इनके शिविरों को बमों से भस्म करो ।
तब तक ये कुत्ते की ''पाक -पूंछ ''नही कभी सीधी होगी ,
जब तक नही ''ब्रह्मोस ''की जद में पूरी पाक परिधि होगी ।
''कमलेश '' नमन उन शहीदों को जो देश पर कुर्बान गए ,
अब भी जागो देश वासियों यह करते वो आह्वान गए .........!!
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