शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

शहीदों को नमन ...

कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा
आज फिर याद जहन में २६/११ का मंजर आया ,
करने छलनी सीना सरहद पार से खंजर आया

बीती थी इक सुहानी रात नव प्रभात फूटा था ,
मुंबई की उस सुबह को वहसी- दरिंदों ने लूटा था

बे-गुनाह निहत्थे लोगों पर पिशाचो ने वार किया ,
हेमंत,सलास्कर ,आप्टे जैसे सपूतों को मार दिया

लहू उबल जाता है ,दिल भी भर आता है ?....
इतने बड़े देश में कोई कैसे ये कर जाता है

कितने दिनों तक प्रेम निमन्त्रण इनको बांटे जायेंगे ,
कब तक ?ये हत्यारे हिंदुस्तान की बिरयानी खायेंगे ॥?

सदा न्याय मिले सबको, कोई कब क्या कहता है ,
इस दरिन्दे[कसाब} की खातिर क्या कोई सबूत रहता है

वक्त गया है इन दुष्टों की जड़ को खत्म करो ॥!
बन भश्मासुर इनके शिविरों को बमों से भस्म करो

तब तक ये कुत्ते की ''पाक -पूंछ ''नही कभी सीधी होगी ,
जब तक नही ''ब्रह्मोस ''की जद में पूरी पाक परिधि होगी

''कमलेश '' नमन उन शहीदों को जो देश पर कुर्बान गए ,
अब भी जागो देश वासियों यह करते वो आह्वान गए .........!!

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