गुरुवार, 4 मार्च 2010

एक दिन ही तो बात थी |


मैं उनसे कुछ कह न सका
एक दिल की ही तो बात थी
चंद पल बिता न सके वो मेरे संग
एक दिन ही की तो बात थी
दुख तो आज हो रहा है यारो
जो वो जनाजे में भी न आए
आखिर एक दिन ही तो बात थी |

6 टिप्‍पणियां:

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत लाजवाब.

वैसे ये बहुत नाइंसाफ़ी की है उन्होनें. जनाजे मे तो आना ही चाहिये था. उसमें तो कहां पूरा दिन लगना था? आजकल दो तीन घंटे में सब काम निपट जाता है.:)

रामराम.

Randhir Singh Suman ने कहा…

जो वो जनाजे में भी न आए
आखिर एक दिन ही तो बात थी.nice

Mithilesh dubey ने कहा…

क्या बात है , बहुत ही गहरी संवेदना दिखी आपकी इस रचना में ।

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत प्रभावशाली रचना सुंदर दिल को छूते शब्द

संजय भास्‍कर ने कहा…

AAP SABHI KA DHANYAWAAD

रविंद्र "रवी" ने कहा…

वाह वाह संजय जी.एक दिन ही तो बात थी