जगाना चाहता हूँ !
सम्वेदनाओं के शून्य को ,जगाना चाहता हूँ !
विचारो के उत्तेज से ,हलचल मचाना चाहता हूँ !
मर्म को पहचान, चोट करारी होनी चाहिए ,
बंद आँखों को नींद से ,जगाना चाहता हूँ !
खून की गर्म धारा ,बह रही ही जिस्म में ,
देश-भक्ति का इसमें ,उबाल लाना चाहता हूँ !
जज्बों में ना कमी हो तो ,समन्दर भी छोटा है ,
,आसमां में अपना तिरंगा फहराना चाहता हूँ !
कमी नही इस देश में, बौद्धिक शारीरिक बल की ,
'कमलेश' इसे विश्व शीर्ष पर पहुंचाना चाहता हूँ !!
6 टिप्पणियां:
वाह भाई आज़ तो तीखे तेवर देखने को मिले
ये ज़लवा बरकरार रखिये ज़नाब
badi khatarnak tamanna he aap ki
hamari or se badhai
बस अपने मन की बात कह दी।
अतिउत्तम. बहुत जोशीली है. यह सच है कि आज के युवा में देशभक्ति का जज्बा कम नजर आता है. अच्छा प्रयास है. मेरा भारत महान
खून की गर्म धारा ,बह रही ही जिस्म में ,
देश-भक्ति का इसमें ,उबाल लाना चाहता हूँ !
... deshprem ka aala jagati aapki rachna samajik chetna ki disha mein bahut saarthak lagi......
Haardik shubhkamnayne
Jai Hind
सम्वेदनाओं के शून्य को ,जगाना चाहता हूँ !
विचारो के उत्तेज से ,हलचल मचाना चाहता हूँ !
बहुत खूब ....!
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