''झंकार -तरंग ''
गुरुवार, 10 जून 2010
बात मेरी नही उनकी ,
बात
मेरी
नही
उनकी
,
निकली
थी
फ़िज़ाओं
मे
.
.
उसको दिल
मे
ही
रख
ली
,
क्यूँ
की
ये
उनकी
बात
थी
/
/
1 टिप्पणी:
संजय भास्कर
ने कहा…
सुन्दर अभिव्यक्ति...कम शब्दों में गहरी बात...हमेशा की तरह...
10 जून 2010 को 6:21 pm बजे
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सुन्दर अभिव्यक्ति...कम शब्दों में गहरी बात...हमेशा की तरह...
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